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जहां बिरसा ने अंतिम सांस ली वहीं गंदगी और कचड़े में गुजर रही है जिंदगी

बिरसा मुंडा ने जिस जेल में अंतिम सांस ली वहां 100 फीट ऊंची प्रतिमा बनेगी. बिरसा मुंडा के साथ शहीदों की प्रतिमा के लिए कई गांवों से मिट्टी आयी. हम सभी खुश हैं कि शहीदों को सम्मान मिला और मिलना चाहिए, आने वाली पीढ़ी इस बलिदान को उनकी कहानियों के जरिये ही तो याद रखेगी लेकिन दूसरी तरफ एक और नयी पीढ़ी है जो इस निर्माण कार्य के जरिये अपने बचपन को याद रखेगी. Birsa Munda, Jharkhand, Honor, Birsa Museum, Raghuvar Das, Pankaj Kumar Pathak शहीद, बिरसा मुंडा, झारखंड, सम्मान, बिरसा संग्रहालय, रघुवर दास, पंकज कुमार पाठक

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

/ by मेरी आवाज
बिरसा मुंडा ने जिस जेल में अंतिम सांस ली वहां 100 फीट ऊंची प्रतिमा बनेगी. बिरसा मुंडा के साथ शहीदों की प्रतिमा के लिए कई गांवों से मिट्टी आयी. हम सभी खुश हैं कि शहीदों को सम्मान मिला और मिलना चाहिए, आने वाली पीढ़ी इस बलिदान को उनकी कहानियों के जरिये ही तो याद रखेगी लेकिन दूसरी तरफ एक और नयी पीढ़ी है जो इस निर्माण कार्य के जरिये अपने बचपन को याद रखेगी.  बिरसा मुंडा जेल परिषर दो भागों में बटा है एक जहां बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली, दूसरा जहां पार्क बनने और अब टूटने का काम हो रहा है. एक तरफ ढोल नगाड़े की आवाज है, खुशी है, तो दूसरी तरफ शांति और निराशा.

जहां धरती आबा ने अंतिम सांस ली वहां 30- 40 हजार की भीड़ है, सरकार के आला अधिकारी और राज्य के  मुखिया रघुवर दास हैं, तो दूसरी तरफ लोगों की तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं है.यहीं झोपड़ी में रह रहे लोगों के घरों में कमर तक नाली का पानी भरा है, बच्चे खाना नहीं पा रहे ना सोने की जगह है, ना खड़े होने की. लोग घरों से बाहर निकलकर बैठे हैं.

इस इलाके में लगभग 200 परिवार हैं, आज भी वहीं रह रहे है. इन परिवारों को यही घर मिलेगा उनके लिए नींव खोदी जा रही है, उससे निकलने वाला कचड़ा बदबू सब इनके हिस्से में हैं. बच्चे इसी कचड़े में खेलते हैं. 10 दिनों से ज्यादा हो, गये घरों में पानी भरा है. ना तो शौचालय है, ना बिजली है, ना पीने के पानी की व्यस्था है जाहिर है इन इलाकों में लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. सरकार यह सुविधाएं दे भी तो कैसे लेकिन बिजली हुक डालकर जल रही है.


नगर विकास के अधिकारियों ने इस इलाके में निर्माण कार्य को मंजूरी दे दी थी. मुख्यमंत्री ने दौरा किया, तो नाराज हो गये. लगभग एक साल में बने सारे काम को अब तोड़ा जा रहा है. नये सिरे से काम शुरू होगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास इस इलाके को भोपाल के शौर्य पार्क और अंडमान जेल के तर्ज पर बनवाना चाहते हैं.  निर्माण होगा उससे पहले पुराने निर्माण को तोड़ा जा रहा है.

मेरी बात- मैं जानता हूं कि यहां के लोग इन इलाकों में अतिक्रमण कर रहे हैं  लेकिन यहां कई पीढ़ियां गुजरी है. अब सरकार उनके लिए आवास बना रही है लेकिन जबतक उनके लिए घर बनेगा तबतक उनकी जिंदगी कैसी होगी. इस मुद्दे पर कई लोगों की राय अलग हो सकती है लेकिन जब मैं पुराने जेल परिषर में घूमते हुए इन इलाकों में पहुंचा तो यहां के हालात देखकर लगा जैसे मैं किसी गांव में पहुंच गया हूं जहां शहर का कचड़ा डंप होता है. कल के हसीन सपने इन्हें आज गंदगी में जीने पर मजबूर कर रहे हैं...

4 टिप्‍पणियां

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