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रांची से 17 किमी दूर एक शापित किले की कहानी...

पिठोरिया के टूटे हुए शापित किले में कई कहानियां दफ्न हैं, और जो बाहर है वह दंत कथाएं और राजा के क्रूरता की कहानियां . रांची से लगभग 17 किमी की दूरी पर यह किला आज भी मौजूद है. 30 एकड़ में फैले हुए इस किले में 100 कमरे थे. इस विशाल किले का रंग लाल था. मुगलकानिल कला के कुछ नमूने आज भी नजर आते हैं.झारखंड, कहानी, किला, शापित, राजा, पतरातू घाटी, इतिहास Jharkhand, story, fort, cursed, king, Patratu valley, history

सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

/ by मेरी आवाज

पिठोरिया के टूटे हुए शापित किले में कई कहानियां दफ्न हैं, और जो बाहर है वह दंत कथाएं और राजा के क्रूरता की कहानियां . रांची से लगभग 17 किमी की दूरी पर यह किला आज भी मौजूद है. 30 एकड़ में फैले हुए इस किले में 100 कमरे थे. इस विशाल किले का रंग लाल था. मुगलकानिल कला के कुछ नमूने आज भी नजर आते हैं. किले में जहरीले सांप हैं. हर साल इस किले में बिजली गिरती है और किले का कुछ हिस्सा टूट जाता है. इस किले के आपसाप रहने वाले लोग सुरक्षित है लेकिन इस किले पर लगे शाप ने राजा का वंश खत्म कर दिया.


किले के शापित होने के पिछे की कहानी क्या है
मान्यताएं और कहानियां कई हैं, लेकिन शाप की कहानी सबके पास है. कोई कहता है ठाकुर विश्वानाथ नाथ सिंह ने अंग्रेजों द्वारा पकड़े जाने के बाद राजा को  शाप दिया. इसके बाद उन्हें फांसी हो गयी, तो कोई कहता है विश्वनाथ जी के शहीद होने  के बाद उनकी मां ने राजा को शाप दिया. किसी के पास राजा द्वारा साधु का अपमान किये जाने के बाद शाप देने की कहानी है. तो किसी के पास नयी शादी हुई दुल्हन जिसे राजा पहले अपने पास रखता था. उसके बाद उसे घर जाने देते था. इस कुकर्म के कारण उसे शाप देने की. कुछ लोग कारीगर को शाप देने वाला बताते हैं क्योंकि राजा ने महल बनवाने के बाद उनके हाथ काट दिये थे. कहानियों कई हैं....
किले में मूगलकालिन कला के दर्शन 
इतिहास क्या कहता है
पिठोरिया शुरुआत से ही नागवंशी राजा और मुंडाओं का केंद्र रहा है. 1831 ईसवी में हुआ कौल विद्रोह भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. जमीदार रैयतों से भारी कर वसूलने लगे थे. इससे कोलों का अंसतोष बढ़ने लगा. छोटानागपुर के महाराज हरनाथ सिंह ने कोलों से जमीन छिन कर अपने पसंद के लोगों में बांट दी. इससे विद्रोह हो गया. इस विद्रोह में लगभग 1000 लोग मारे गये थे. अंग्रेज इस विद्रोह का दबा नहीं पा रहे थे. 
अंग्रेज अधिकारी विल्किनसन ने राजा जगतपाल सिंह( जिनका किला आज शापित है) से मदद की अपील की, जगतपाल तैयार हो गये.  

तात्कालिन गर्वनर जनरल लॉर्ड विलियम बैन्टिक ने इस मदद के लिए उन्हें 313 रूपये आजीवन पेंशन के रूप में देते रहे. 1857 की क्रांति में भी इन्होंने अंग्रेजों की मदद की. क्रांतिकारियों को रोकने के लिए राजा जगतपाल सिंह ने घेराबंदी की थी. राजा जगतपाल सिंह क्रांतिकारियों की हर जानकारी अंग्रेजों तक पहुंचाते थे. ठाकुर विश्वनाथ नाथ शाहदेव की गिरफ्तारी के पीछे भी राजा जगतपाल सिंह की अहम भूमिका थी. राजा जगतपाल की गवाही के कारण ही 16 अप्रैल 1858 को रांची के जिला स्कूल के पास कदम के पेड़ पर फांदी दे दी गयी.
किले की जगह पर बना घर 

इसी किले के पास रहता है परिवार

इस किले में प्रवेश करने के लिए आपको इजाजत लेनी होगी. इसी किले के आगे 1960 से एक परिवार रह रहा है. इस किले में हर साल बिजली गिरती है लेकिन इस किले से सटे इस घर में नहीं. दिवार आपस में सटी लेकिन जब बिजली गिरती है तो किले में इस घर में नहीं. इस घर में रहने वाले बताते हैं कि हमने कई बार किले में अजीब चीजें देखी. कभी खाने की खुशबू तो कभी कुछ लेकिन हमारे साथ कभी कुछ गलत नहीं हुआ. हमारे दादा ने यह जमीन खरीदी और घर बनवा ली. किले की जमीन भी हमने 100 साल के लिए लीज में ले रखी है. अगर कोई किला देखने आता है तो हम उसे अंदर जाने देते हैं.  
मंदिर जिसे विशाल पेड़ ने बचा रखा है

राजा की बनवायी सूर्य मंदिर भी टूट गयी
किले के किनारे एक तालाब है जिसका इस्तेमाल आज भी इस गांव में रहने वाले लोग करते हैं. इस तालाब के किनारे एक मंदिर है जो विशाल पेड़ के नीचे छिपा है. इस मंदिर की तरफ कोई नहीं जाता. एक पुजारी पहले पूजा पाठ करते थे लेकिन उनके निधन के बाद अब कोई नहीं आता. मंदिर को पेड़ ने मजबूती से पकड़ रखा है मानों कह रहा हो कि तुम्हें टूटने नहीं दूंगा.

कैसी कैसी कहानियां सुनी मैंने
मैंने कई लोगों से बातचीत की. एक लकड़हारे को अपार धन मिला. इस धन का इस्तेमाल करके उसने किला बनवाया. पैसे के नशे में इतना चूर हो गया कि अच्छाई बुराई का फर्क भी नजर आना बंद हो गया. देश से गद्दारी की और बदले में उसके पूरे वंश का नाश हो गया. इसी कहानी को मैंने अलग
अलग किरदार और अलग अलग कहानियों के माध्यम से सुनी है.


मेरी बात- इस यात्रा का अनुभव कमाल का था. जब मैंने यहां जाने कि योजना बनायी तब से रोमांचित था लेकि

न पहुंच कर महसूस हुआ कि इतिहास ही तो सीखाता है, घमंड और गलत रास्ते का नतीजा हमेशा बुरा होता है. राजा की गलतियों ने उसके पूरे वंश को खत्म कर दिया लेकिन कहानियों में ने उसे इस मरते खंडर की तरह जिंदा रखा है, राजा के चरित्र को लेकर कई कहानियां हैं, देश से गद्दारी को लेकर कहानियां हैं. उसकी क्रूरता की कहानियां हैं. वंश भले खत्म हो गया लेकिन आज भी राजा को इन कहानियों के कारण आम  लोगों की गालियां और शाप तो मिल ही रहा है.....



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