Latest

latest

यह क्या हो " रिया " है ?

शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

/ by मेरी आवाज



मुझे अपने गांव का वह दौर याद है, जब गांव के बड़े बुजुर्ग बड़े से पेड़ के नीचे बैठकर आकाशवाणी और बीबीसी समाचार का इंतजार करते थे, चर्चा करते थे. उस वक्त मुद्दे का स्तर इतना नीचे नहीं था जितना आज है. मैंने इससे पहले भी लिखा था आज जो स्थिति है, उसकी जिम्मेदार सिर्फ मीडिया नहीं है, आप हैं जो दिन भर इस तरह की खबरों को चटकारे लेकर पढ़ते हैं, देखते हैं. 

 यह भी पढ़ सकते हैं बस टच करने की देर है - चलिये मान लिया, मीडिया बाजारू है, बिकाऊ है

आज सुशांत सिंह राजपूत के निधन को लेकर जिस तरह की खबरें चल रही हैं, क्या आपको वह टीवी पर देखने में ठीक लगता है ?  एक इंसान जिसकी दुखद मौत हो गयी ? हर दिन उसके मौत की अलग- अलग कहानियां ठीक लगती है. पहले दिन की कहानी जो शानदार टीआरपी लाती है दूसरे दिन गलत साबित हो जाती है, यह ठीक लगती है. भरोसा रखिये,  मौत के कारणों की जांच सीबीआई कर रही है. 

मानता हूं,  हम सबके मन में सवाल है कि क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन दोषी है लेकिन मीडिया कई हिस्सों में बंटा है. एक जो  सुशांत की मौत के लिए रिया को दोषी बताता है और दूसरा जो रिया को उसकी बात रखने का मंच देता है.

एक टीवी चैनल दूसरे पर आरोप लगा रहा है, तो दूसरा तीसरे पर. इस मामले की जांच सीबीआई के हाथ में है. देश की सबसे प्रतिष्ठित एजेंसी. जो भी सच होगा हमारे मन में जो भी सवाल है उसके जवाब मिल जायेंगे, जांच चल रही है लेकिन इस जांच के साथ- साथ मीडिया में जो चल रहा है उसके लिए मुझे किसी जांच ऐजेंसी की जरूरत नहीं है और डंके की चोट पर कह सकता हूं सब टीआरपी का खेल है. 

यकीन मानिये सच की किसी को नहीं पड़ी है. मीडिया बस अपना हित देख रहा है, टीआरपी देख रहा है. टीवी पर सुशांत के परिवार पर रिया आरोप लगा रहीं है, टीवी पर रिया के चरित्र पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. हर दिन यह कोशिश हो रही है कि टीवी डिबेट के जरिये ही सुशांत का केस सुलझा लिया जाये. 

दिन भर रिया को टीवी पर देखकर थक गया हूं. मोबाइल की स्क्रीन पर खबरों की हर दूसरी नोटिफिकेशन देखकर पक गया हूं. सुशांत को न्याय मिलना चाहिए लेकिन उसके बदले परोसे जाने वाले इस तरह के मसाले से अपच हो रही है.  

इसका कितना असर होता है, आपके दिमाग पर, इसका कितना असर होता है आपकी नैतिक शिक्षा पर जो सच औऱ झूठ का फर्क 14 इंच की बड़ी सी स्क्रीन में चल रही खबरों पर करने लगती है. टीवी अब जितना खतरनाक होता जा रहा है यकीन मानिये इसका अंदाजा भी नहीं है आपको. 

रिया पर स्टोरी चलेगी तो किसी को कोई दिक्कत नहीं है, आप दिन - रात टीवी से चिपके भी रहेंगे. आपके असल मुद्दे जैसे बेरोजगारी, देश की आर्थिक स्थिति, कोरोना संक्रमण के बाद रोजगार की स्थिति, बाढ़, किसानों की हालत जैसे अहम मुद्दे गायब है यकीन मानिये आप जिस तरफ मीडिया को, पत्रकारिता को भेज रहे हैं एक दिन आपके बुलावे पर  भी नहीं लौटेगी. 

कोई टिप्पणी नहीं

Don't Miss
© all rights reserved
made with by templateszoo