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आसान होता है न खुद को देशभक्त और दूसरे को गद्दार कर देना

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शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

/ by मेरी आवाज
सर्जिकल स्ट्राइक इस नाम से लोग पहले जितने अनजान थे, अब उतने ही परिचित हो गये हैं. दोस्त यार भी धमकाने लगे है अबे चौक पे आ रहे हो कि तेरे घर में सर्जिकल स्ट्राइक कर दें. मना करो, तो सर्जिकल स्ट्राइक की धमकी और चौक पर आओ तो चीन और रूस पर चर्चा. चीन और रूस पर चर्चा करने का कारण भी है चाय की टपरी के कई सेंशन के बाद इन्हें लगने लगा है पाकिस्तान पर चर्चे बेकार है. पाकिस्तान जिसके बल पर उझल रहा है, उसकी नस पकड़ो काहे फालतू में पाकिस्तान पर बात करके टाइम पास करें. 

सड़क पर सो रहे भविष्य के सैनिक 
चौक पर जब चर्चा ज्यादा बढ़ने लगती है तो समझ लीजिए की मामला गंभीर होने वाला है. किसी ने चीन या रूस की तरफ से रुपेशवा के सामने एक बात भी रख दी, तो सीधे गद्दार करार दे दिया जायेगा. इतना ही नहीं रुपेशवा तो एतना तक कह देता है, जा चाय का पैइसा दे दे, हम गद्दार को चाय नई पिलायेंगे, साले रोज शाम को चाय पीओ मेरे पइसा से और जब मौका मिले तो हो जाओ चीन के. बीच में पिसता हूं मैं जब रुपेशवा पूछता है काहे बे तुम तो पत्रकार हो तुम चुप काहे हो, मैं सिर्फ इतना कहकर चुप हो जाता हूं कि भाई पइसा घरे छोर के आये हैं. 




अपनी मंडली में एक दोस्त फौज में है. कभी कभार छुट्टी मिलती है तो पहुंचता है. पिछली बार जब मिला था तो उसने अकेले में मुझसे काफी देर बात की. फौज में जिंदगी कैसी है बाहर लोगों को क्या लगता है और अंदर के हालात क्या है.  इस पर लंबी बातचीत हुई. कई बातें तो मैं लिख भी नहीं सकता, उसने फौज में जाने के लिए कमरतोड़ मेहनत की. हाल में ही रांची के मोहरबादी मैदान में सैनिकों की बहाली हो रही थी. मैं और उदय ( दोस्त) अक्सर शाम का वक्त इसी इलाके में होते हैं. दो तीन लड़कों से उस दिन हमने लंबी बातचीत की. 



एक लड़का 19 साल की उम्र जिसने दौड़ निकाल लिया था और उसका मेडिकल सुबह होना था. हमारे सामने ही फोन पर बात कर रहा था.. उनको बोल दिये हैं ना चेस्ट नंबर याद करा दिये हैं, मेरा फंला नंबर ये है. भैया कोई दिक्कत नई होगा ना. फोन रखने के बाद हमने उससे बात की तो पता चला कि उसने पहली बार में ही दौड़ निकाल लिया है. जब हमने पूछा कि कहां बात कर रहे थे, तो उसने कहा कि भैया गांव का एक आदमी है, जो इ सब काम करता है. उसी से बात कर रहे थे. बगैर सेटिंग के मेडिकल मुश्किल होता है. कितना पैसा लेगा ? , दो लाख रूपया भैया. गांव के सब लइका का मेडिकल वही पार कराता है. और नई हुआ तब ? ज्वाइनिंग लेटर आने के बाद पैसा देना है. मेरा दांत हल्का बाहर है ना, तो डेरा रहे हैं कि कहीं इसी में छंटा ना जाएं. 
दुकानदारोंं की चांदी सुबह की दतुवन से लेकर नाश्ते तक का इंतजाम


यार एतना मुश्किल से दौड़ निकाले हो तुम में काबिलियत है तो मेडिकल भी निकल जायेगा , दौड़ के लिए सेटिंग नई किये तो मेडिकल के लिए काहे कर रहे हो ?, अरे भैया दौड़, तो आपको निकालना ही पड़ेगा उसके बाद सेटिंग हो सकता है. बिना सेटिंग के मुश्किल है. दौड़ केतना मुश्किल है ?...अरे भैया मत पूछिये हम तो चार साल से सोच के रखे थे कि फौज में जायेंगे रोज दौड़ने जाते थे चाहे गरमी हो चाहे बरसात.  गांव के सब लोग कहता था लइका पगला है एतना छोट उमर में दौड़ने लगा है एतना आसान होता है का फौज में जाना, जानते हैं भैया यहां रात के 1 बजे से लाइन लगने लगता है. सुबह 4 बजे अंदर जाते हैं .सबको अंदर जाने के बाद टीम में बांट देता है. पता नई आपका नंबर कब आयेगा. तबतक भूखे पियासे बइठे रहिये. ताकत नई बचता है कि दौड़े आदमी. भगवाने जानता है हम केतना मेहनत किये हैं. लेकिन सेटिंग तो करना पड़ेगा, नई तो सारा मेहनत बेकार.



जरा सोचिये इतनी मेहनत और घूस देने के बाद ये अपनी पूरी जवानी फौज में दे देते हैं. जवानी कट जाने के बाद वही किसी बिल्डिंग के बाहर, तो किसी बैंक के गेट के बाहर खड़े मिलते हैं. पूरी जवानी उन्होंने हमारी सुरक्षा के लिए दे दी और बाद में खड़े हो गये किसी बड़े आदमी या दफ्तर की सुरक्षा में. पहले देश के बाहर दुश्मनों से लड़ते थे अब अंदर बदमाश, चोर उचक्कों से लड़ते हैं. पहले हाथ में हथियार थे अब लाठी डंडे या दो नाली है. आसान होता है ना, चाय की टपरी पर चीन या रूस पर चर्चा करना, आसान होता है न, सिर्फ ये कह देना की हम देशभक्त है तुम गद्दार, आसान होता है न, सर्जिकल स्ट्राइक का बार बार जिक्र कर देना, आसान होता है न, ये कह देना कि काहे नई हमलोग मिलाइल ठोक के पाकिस्तान खतमे कर देते हैं. आसान होता है न, सिर्फ ये कह देना कि देश के जवानों पर गर्व है, आसान होता है ना सिर्फ उनकी तारीफें करना और उनकी परेशानियों को नजरअंदाज कर देना. हां सच में आसान होता है.... बहोत आसान होता है 


कुछ तस्वीरें शेयर कर रहा हूं जिस पर लिख तो बहुत कुछ सकता हूं लेकिन नहीं लिख रहा क्योंकि मैं बेकार में किसी बहस में नहीं पडना चाहता वैसे ये तसवीरेंं भी बहुत कुछ कह देगी आपको बस आंखों पर किसी का परदा ना हो....     

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