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pegasus spyware : कैसे होती है फोन पर जासूसी, पढ़ें पूरी कहानी, यहां समझिये सबकुछ

मंगलवार, 20 जुलाई 2021

/ by मेरी आवाज

पेगासस सॉफ्टवेयर की खूब चर्चा है लेकिन  पेगासस सॉफ्टवेयर  की कहानी नयी नहीं है. देश में पहले भी जासूसी के लिए दूसरे सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल होता रहा है. पहले भी फोन टेपिंग जासूसी के आरोप लगते रहें हैं लेकिन इस बार 16 अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस काहनी को  ब्रेक किया है जिसमें  भारत के भी दो मीडिया हाउस भी शामिल हैं.

कितना खतरनाक है सॉफ्टवेयर 

पूरी कहानी में इजरायल की  एक कंपनी एनएसओ (NSO GROUP - Cyber intelligence for global security and stability ) का जिक्र है, जो  पेगासस नाम का  सॉफ्टवेयर बनाती है.  इसे सॉफ्टवेयर को आपके फोन तक पहु्ंचाने के लिए आपका फोन उनके पास होना जरूरी नहीं है. सिर्फ एक मिस्ड कॉल से ही, इस सॉफ्टवेयर को आपके फोन में इंस्टॉल किया  जा सकता है.  आपके साथ आपका फोन 24 घंटे साथ रहता है. सोते वक्त भी बिस्तर के पास या सिर्फ उतनी ही दूरी पर जितने में हाथ बढ़ाकर अपने पास लाया जा सके. आपका फोन आपकी पसंद, नापसंद, आपकी बातचीत, आपके रिश्ते सब समझता है. अगर वो ये सारी बातें किसी से शेयर करने लगे तो, पेगासस सॉफ्टवेयर  आपके फोन से वो सारी बातें पूछ लेता है जो आप किसी को नहीं बताना चाहते. 

अक्सर आप अपना फोन पैटर्न, फिंगरप्रिंट या अब फेसलॉक के बाद सुरक्षित मानने लगते हैं लेकिन इस सॉफ्टवेयर की मदद से किसी को आपके फोन के लॉक खोलने या आपके फोन तक पहुंचने की भी जरूरत नहीं है.  बस आपका फोन नंबर काफी है आपके मोबाइल का हर मैसेज, हर फोटो, हर वीडियो एक - एक चीज एक्सेस की जा सकती है और तो और आपके फोन के कैमरे और माइक का इस्तेमाल पेगासस सॉफ्टवेयर  की मदद से मिलों बैठे आसानी से किया जा सकता है. 

इस बात का खुलासा कैसे हुआ 

यह दावा किया जा रहा है कि इस कंपनी के साथ काम करने वाला कर्मचारी अंतरराष्ट्रीय मीडिया के पास इन सारी जानकारियों के साथ पहुंचा और सबूत दिये. इस मामले की वैश्विक मीडिया संघ ने जांच की और दावों को सच पाया इसके बाद इन 16 संगठनों ने इस मामले को साथ में प्रकाशित करने की रणनीति बनायी और इसे छाप दिया 


भारत में किन - किन की जासूसी हुई  ? 

भारत में ऐसे कई लोगों के नाम सामने आये हैं जिनमें  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा के मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे तथा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी. 


वसुंधरा राजे सिंधिया के निजी सचिव और संजय काचरू.014 से 2019 के दौरान केन्द्रीय मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी के पहले कार्यकाल के दौरान उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) प्रवीण तोगड़िया 

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई. 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी और उसके रिश्तेदारों से जुड़े 11 फोन नंबर भी शामिल है  इनके अलावा  एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर और शीर्ष वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग शा. 

इनमें  पत्रकार, मानवाधिकार के लड़ने वाले वाले लोग, एनजीओ चलाने वाले लोगों का नाम शामिल है पत्रकारों में मुख्य रुप से  ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ और ‘मिंट’ के तीन पत्रकारों के अलावा ‘फाइनैंशियल टाइम्स’ की संपादक रौला खलाफ तथा इंडिया टुडे, नेटवर्क-18, द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, सीएनएन, द न्यूयॉर्क टाइम्स व ले मॉन्टे के वरिष्ठ संवाददाता सहित 40 भारतीय पत्रकारों के नाम सामने आ रहे हैं. 


सरकार और कंपनी दोनों इस दावे को नकार रहे हैं. सरकार इसे साजिश बता रहा है और मानसून सत्र से भी जोड़कर देख रहा है. दूसरी तरफ इस मुद्दे को लेकर सदन में हंगामा कर रही है और बाहर भी सरकार पर हमलावर है.  


कंपनी काम कैसे करती है

यह कंपनी सरकार के अलावा किसी और को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती. 50 लोगों की जासूसी के लिए तकरीबन 60 करोड़ रुपये का खर्च होता है यानि एक नंबर पर एक करोड़ से भी ज्यादा का खर्चा. सरकार वो नंबर कंपनी को देती है और फिर कंपनी वो सारी जानकारियां सरकार या एजेंसी को उपलब्ध कराता है. फोन को हैक करने का काम कंपनी ही करती है एनएसओ इसका पूरा कंट्रोल रखती है. 

किन - किन देशों में हो रहा है इस्तेमाल 

इजरायल की कंपनी एनएसओ ऐसे कई और सॉफ्टवेयर बनाती है. इसके अलाव पहले भी  पैकेज सेपर सॉफ्टवेयर, फिंनफिशर जैसे कई सॉफ्टवेयर चर्चित हैं. फिनफिशर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भारत में भी हुआ है इनमें 25 देशों का नाम शामिल है जिनमें भारत का नाम भी शामिल है. साल 2015 में इकोनोमिक टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें बताया था पहले भी भारत में इसका इस्तेमाल होता रहा है.  

प्रशांत भूषण ने इस मामले में यह कहा है कि यह गंभीर मसला है हमें आरटीआई के एक जवाब में सरकार ने ही बताया कि महीने में कम से कम 9 हजार आवेदन की अनुमित गृह सचिव देता है. आप सोचिये क्या कोई व्यक्ति महीने भर में इतने फोन टैप करने की इजाजत दे सकता है. एक दिन में 3 से 4 आवेदन देखना उनकी इजाजत देना संभव है. उन्होंने कहा यह कानून के खिलाफ है.




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