...जिंदगी आपको कई मौके देती है. आपका आगे बढ़ना वहीं खड़े रहना या पीछे हटना, पूरी तरह आपके फैसले पर निर्भर करता है. ये ज्ञान मेरा नहीं है ! मेरे गुरू ने मुझे दिया है. सच कहूं , तो जिंदगी में लिये गये कई फैसले, उनकी कही ये बातें याद कराते हैं औऱ यही कारण है कि मेरे फैसले सिर्फ मैं लेता हूं. क्या आप भी अपने फैसले खुद लेते हैं ?. आपका जवाब कुछ भी हो या आप असमंजस में हैं ? मैं आपकी मदद करता हूं. जरा याद कीजिए आप पहली बार अकेले घर से कब निकले थे ? बस या ट्रेन की यात्रा अकेले कब की थी ?. याद कर रहे हैं तो एक बार फिर अपने बचपन के साथ आंखे बंद कर यात्रा कीजिएगा. यात्रा में अनुभव को दोबारा महूसस करेंगे . हल्का - हल्का सा डर की कहीं आगे ना बढ़ जाऊं, सो ना जाऊं, बस या ट्रेन की खिड़की से बार- बार झांक कर देखना. हर किसी को शक की नजर से देखना. कभी डर जाना कि कहीं आगे, तो नहीं बढ़ गया. किसी से पूछ लेना, भैया फलां जगह कितनी दूर है...
अगर नेपाल रोड ट्रीप की कोई कड़ी रह गयी है तो अंतिम कड़ी की लिंक दे रहा हूं. यहां सारी स्टोरी की लिंक मिल जायेगी आपकी क्लिक करें
पहली बार का अनुभव कमाल का होता है ना. आपकी पहली साईकिल, पहली मोटरसाईकिल, पहला मोबाइल, पहला कम्पयूटर, पहली घड़ी याद है. हां जानता हूं इन सबकी कोई ना कोई कहानी आप सबकी जरूर होगी. मेरी भी है पहली बार साईकिल ली थी, तो दूसरे दिन चलाने की लालच में रात भर सो नहीं पाया था. बचपन के इन अनुभवों की तरह ही है मेरी नेपाल यात्रा. मेरे उन अनुभवों में शामिल है, जो पहली है. पता है क्यों क्योंकि यह मेरी पहली रोड ट्रीप है. ( वैसे तो छोटी - छोटी कई यात्राएं बाइक से कर चुका हूं) नेपाल इसलिए भी पहली कह रहा हूं क्योंकि यह पहली विदेश यात्रा भी है. भले ही नेपाल को हम दिल से भारत ही मान लेते हैं लेकिन थी, तो यह विदेश यात्रा ही. यात्रा की शुरूआत से लेकर वापसी तक भले ही इनते दिनों में शारीरिक थकान हुई है लेकिन मन कभी नहीं थका. मैं हमेशा बारपाक- गोरखा के लोगों की हिम्मत और लड़ने की आदत याद रखूंगा. भूकंप से कई शहर, घर टूटते देखे हैं लेकिन यहां लोगों के हिम्मत किसी भूकंप से नहीं टूट सकती.
वीडियो के जरिये देखें नेपाल रोड ट्रीप
हर गुजरता माइल स्टोन आपको कुछ सीखता है बशर्ते आप खुले मन से उन्हें समटने की क्षमता रखते हों, नये लोगों से मुलाकात बातचीत जीवन की कई परेशानियों का हल दे सकती है. ढंड़ से ढुढरता गराज की दुकान पर खुशी से आपके बाइक की चैन टाइट करता छोटा बच्चा बताता है. सुनों, तुम बेकार ही जिंदगी से छोटी- छोटी शिकायतें करते हो, देखो मैं कहां कोई शिकायत कर रहा हूं. तुम्हारे पास गर्म कपड़े हैं. मेरे पास नहीं लेकिन मेरे इतना जोश और गर्माहट तुममे में है क्या?, रास्ते पर एक लाठी के सहारे चलते बुढ़ें की तरफ देखकर आप मुस्कुराते हैं, तो उसकी दोगुणी मुस्का सवाल कर देती है, तुम गाड़ी में हो, तो क्या हुआ इस सफर का आनंद पैदल चलकर तुमसे ज्यादा उठा रहा हूं मैं.मेरे इतना आनंद तुम ले रहे हो क्या ?
नेपाल रोड ट्रीप की दूसरी कड़ी - वीडियो
पीठ में सामान लादकर चल रही महिला आपकी तरफ देखते हुए कहती है, तुमसे लिफ्ट नहीं मांग रही. तुम किसी पर बोझ बनकर सफर कर रहे हो और मैं अपने पूरे परिवार का बोझ कांधे पर उठाये सफर कर रही हूं कौन ज्यादा खुश है तुम या मैं ? जंगल के बीचोबीच बना एक छोटा सा घर पूछता है, कहां तुम अपने शहर के बीचोबीच मकान बनाकर शहर का शोर, बड़ी गाड़ियों के धूल के बीच जीना चाहते हो , देखो मैं यहां विराने में खड़ा सांस ले रहा हूं . मेरी छत्रछाया में कितने लोग खुश है . तुम्हारे पास मेरे इतना सुकून है क्या ?
यकीन मानिये, जो सीख आपकी आंखे देखकर दे सकती है. वह किताबों के शब्द नहीं दे सकते . शब्दों में चित्र आपकी कल्पना बनाती है औऱ यहां हकीकत हल्के से स्पर्श के साथ सीख देती है. मैं जब नेपाल यात्रा से लौटा, तो कई लोगों ने यात्रा के अनुभव को लिखने की सलाह दी. सच कहूं, तो जो महसूस किया उसे शब्दो में नहीं लिख सकता. पहाड़ों में हाथ जोड़कर बच्चों को बड़े प्यार से स्कूल में मिलने वाला प्रवेश सिर्फ प्यार और सम्मान जैसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. कई ऐसी भावनाएं जो सिर्फ आंखों में पानी ला सकती है उसे शब्दों में बयां करना कठिन होता है.
नोट- आप सभी को धन्यवाद की आपने नेपाल यात्रा के मेरे अनुभवों को अपना अनुभव बताया. कई लोग मेरी यात्रा में मेरे लेख के जरिये साथ थे. सच कहूं तो आपके ईमेल के जरिये मिली सराहना से मुझे ऊर्जा मिली है. मैं आप सभी का आभारी हूं कि आपने अपने जीवन का सबसे किमती वक्त मेरे लेख को दिया और उससे भी किमती वक्त निकाल कर मुझे ईमेल किया. तहे दिल से धन्यवाद
अगर नेपाल रोड ट्रीप की कोई कड़ी रह गयी है तो अंतिम कड़ी की लिंक दे रहा हूं. यहां सारी स्टोरी की लिंक मिल जायेगी आपकी क्लिक करें
पहली बार का अनुभव कमाल का होता है ना. आपकी पहली साईकिल, पहली मोटरसाईकिल, पहला मोबाइल, पहला कम्पयूटर, पहली घड़ी याद है. हां जानता हूं इन सबकी कोई ना कोई कहानी आप सबकी जरूर होगी. मेरी भी है पहली बार साईकिल ली थी, तो दूसरे दिन चलाने की लालच में रात भर सो नहीं पाया था. बचपन के इन अनुभवों की तरह ही है मेरी नेपाल यात्रा. मेरे उन अनुभवों में शामिल है, जो पहली है. पता है क्यों क्योंकि यह मेरी पहली रोड ट्रीप है. ( वैसे तो छोटी - छोटी कई यात्राएं बाइक से कर चुका हूं) नेपाल इसलिए भी पहली कह रहा हूं क्योंकि यह पहली विदेश यात्रा भी है. भले ही नेपाल को हम दिल से भारत ही मान लेते हैं लेकिन थी, तो यह विदेश यात्रा ही. यात्रा की शुरूआत से लेकर वापसी तक भले ही इनते दिनों में शारीरिक थकान हुई है लेकिन मन कभी नहीं थका. मैं हमेशा बारपाक- गोरखा के लोगों की हिम्मत और लड़ने की आदत याद रखूंगा. भूकंप से कई शहर, घर टूटते देखे हैं लेकिन यहां लोगों के हिम्मत किसी भूकंप से नहीं टूट सकती.
वीडियो के जरिये देखें नेपाल रोड ट्रीप
हर गुजरता माइल स्टोन आपको कुछ सीखता है बशर्ते आप खुले मन से उन्हें समटने की क्षमता रखते हों, नये लोगों से मुलाकात बातचीत जीवन की कई परेशानियों का हल दे सकती है. ढंड़ से ढुढरता गराज की दुकान पर खुशी से आपके बाइक की चैन टाइट करता छोटा बच्चा बताता है. सुनों, तुम बेकार ही जिंदगी से छोटी- छोटी शिकायतें करते हो, देखो मैं कहां कोई शिकायत कर रहा हूं. तुम्हारे पास गर्म कपड़े हैं. मेरे पास नहीं लेकिन मेरे इतना जोश और गर्माहट तुममे में है क्या?, रास्ते पर एक लाठी के सहारे चलते बुढ़ें की तरफ देखकर आप मुस्कुराते हैं, तो उसकी दोगुणी मुस्का सवाल कर देती है, तुम गाड़ी में हो, तो क्या हुआ इस सफर का आनंद पैदल चलकर तुमसे ज्यादा उठा रहा हूं मैं.मेरे इतना आनंद तुम ले रहे हो क्या ?
नेपाल रोड ट्रीप की दूसरी कड़ी - वीडियो
पीठ में सामान लादकर चल रही महिला आपकी तरफ देखते हुए कहती है, तुमसे लिफ्ट नहीं मांग रही. तुम किसी पर बोझ बनकर सफर कर रहे हो और मैं अपने पूरे परिवार का बोझ कांधे पर उठाये सफर कर रही हूं कौन ज्यादा खुश है तुम या मैं ? जंगल के बीचोबीच बना एक छोटा सा घर पूछता है, कहां तुम अपने शहर के बीचोबीच मकान बनाकर शहर का शोर, बड़ी गाड़ियों के धूल के बीच जीना चाहते हो , देखो मैं यहां विराने में खड़ा सांस ले रहा हूं . मेरी छत्रछाया में कितने लोग खुश है . तुम्हारे पास मेरे इतना सुकून है क्या ?
यकीन मानिये, जो सीख आपकी आंखे देखकर दे सकती है. वह किताबों के शब्द नहीं दे सकते . शब्दों में चित्र आपकी कल्पना बनाती है औऱ यहां हकीकत हल्के से स्पर्श के साथ सीख देती है. मैं जब नेपाल यात्रा से लौटा, तो कई लोगों ने यात्रा के अनुभव को लिखने की सलाह दी. सच कहूं, तो जो महसूस किया उसे शब्दो में नहीं लिख सकता. पहाड़ों में हाथ जोड़कर बच्चों को बड़े प्यार से स्कूल में मिलने वाला प्रवेश सिर्फ प्यार और सम्मान जैसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. कई ऐसी भावनाएं जो सिर्फ आंखों में पानी ला सकती है उसे शब्दों में बयां करना कठिन होता है.
नोट- आप सभी को धन्यवाद की आपने नेपाल यात्रा के मेरे अनुभवों को अपना अनुभव बताया. कई लोग मेरी यात्रा में मेरे लेख के जरिये साथ थे. सच कहूं तो आपके ईमेल के जरिये मिली सराहना से मुझे ऊर्जा मिली है. मैं आप सभी का आभारी हूं कि आपने अपने जीवन का सबसे किमती वक्त मेरे लेख को दिया और उससे भी किमती वक्त निकाल कर मुझे ईमेल किया. तहे दिल से धन्यवाद
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें