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झारखंड के इतिहास का धुंधला पन्ना नवरत्न गढ़ : देखें वीडियो में भी पूरी कहानी

navratangarh ka kila jharkhand historical place jharkhand tourist places नवरत्नगढ़.. झारखंड के इतिहास का वो पन्ना जिसकी लिखावट अब धुंधली हो चली है,

रविवार, 3 अक्तूबर 2021

/ by मेरी आवाज

 



नवरत्नगढ़.. झारखंड के इतिहास का वो पन्ना जिसकी लिखावट अब धुंधली हो चली है, किसी ने जहमत नहीं कि इसे संभालने की. हां रास्तों में बोर्ड और नवरत्न गढ़ की रक्षा के लिए गार्ड जरूर रख दिया गया. सरकारें आयीं और गयीं लेकिन राज्य की राजनीति में नवरत्न गढ़ के इतिहास को सजाने संवारने की कोशिश किसी मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री ने नहीं की. 

योजनाएं जरूर बनीं और अब वहीं फाइल किसी बड़े से सरकारी दफ्तर के कोने में पड़ी नवरत्न गढ़ की तरह इतिहास बन गयी होगी. इससे पहले की इस सफर में आप सहयात्री बनें, यह समझना होगा कि आप कहां की यात्रा कर रहे हैं और यह समझने के लिए थोड़ी किताबी जानकारी जरूरी भी है. 


हीरा राजा क्यों कहा जाता है यहां के राजाओं को  ? 

आपने  ये गाना सुना है,  "धन धन रे धन हमार छोटानागपुर, छोटानागपुर हाय रे हीरा नागपुर ". हीरा नागपुर वाली लाइन इसमें यूं ही नहीं जोड़ी गयी है. झारखंड में नागवंश के राजाओं को हीरा राजा कहा जाता था. 

एक कदम इतिहास की तरफ बढ़ें, फिर वर्तमान की चर्चा होगी ? 

1616 में मुगल बादशाह जहांगीर ने खुखरागढ़ में राजा दुर्जन साल  पर आक्रमण कर दिया और यहां से ढेर सारे हीरे, 23 हाथी और ढेर सारा खजाना लूटकर आगरा ले गये. राजा 12 सालों तक ग्वालियर के किले में कैद रहे लेकिन दुर्जन साल की हीरे की परख की योग्यता से खुश होकर उन्हें ना सिर्फ रिहा कर दिया बल्कि शाह की उपाधि भी दे दी. दुर्जन साल अकेले नहीं निकले अपने साथ नौ राजाओं को भी मुक्त करा लिया. 

राजा ने नहीं बनवाया है महल 


ऐसा माना जाता है कि इन राजाओं ने भी दुर्जन साल के लिए एक महल बनवा दिया. इसमें हर एक तल्ले पर नौ - नौ कमरे थे. इसमें अलग अलग जगहों पर कई तरह के आवास बनाये गये जिसमें रानी आवास तीन मंजिले का बनाया गया, रसोई घर , मंदिर, राज परिवार का विशेष मंदिर, तहखाना, कचहरी, चढ़ में सेनाओं के लिए अलग- अलग जगह बनाये गये. इससे पहले राजा खुखरागढ़ में थे लेकिन इसे अधिक सुरक्षित और विशाल बनाया गया था.  

आप भी नवरत्न गढ़ होकर आइये, अपने इतिहास पर गर्व होगा और वर्तमान स्थिति पर तकलीफ 

इतिहास के पन्नों की कई कहानियां अक्सर किताबों तक सिमट कर रह जाती है. हम जैसे साधारण लोगों को बहुत कम मौका मिलता है इतिहास के उन गलियारों से होकर अपने हिसाब से उन्हें समझने का देखने का. 

झारखंड में नागवंश के शासकों का इतिहास पुराना है. इन इतिहास के रास्तों पर चलकर उस वक्त को समझने की जानने की कोशिश लंबे अरसे से कर रहा हूं. मेरे इस सफर में अबतक कई कहानियों, किरदारों, स्थानों से होकर अब नवरत्नगढ़ तक पहुंचा हूं. 

मैं यहां किताबी कहानियां नहीं रख रहा वो कम कीमतों पर बाजार में उपलब्ध हैं, मैं अपना सफर, अपना अनुभव और अपनी कहानियां आपसे साझा कर रहा हूं. यह अनुभव एक साधारण व्यक्ति का है जो आप में से कोई भी हो सकता है. 

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